कंज्यूमर इंटरनेशनल की ओर से इस साल विश्व उपभोक्ता दिवस की थीम ‘ट्रस्टेड स्मार्ट प्रोडक्ट्स’ रखी गई है। इसका उद्देश्य स्मार्ट प्रोडक्ट्स के यूज के लिए उपभोक्ताओं को तैयार करना है ताकि इनके डिफॉल्ट से बचा जा सके। आज स्मार्ट फोन्स से लेकर वियरेबल फिटनेस ट्रैकर, स्मार्ट टीवी और होम सिक्योरिटी को लेकर कई स्मार्ट प्रोडक्ट्स मार्केट में उतारे जा रहे हैं। ऐसे में इनके प्रति जानकारी बहुत जरूरी है। हालांकि इन स्मार्ट प्रोडक्ट्स ने उपभोक्ताओं को सुविधा और सुरक्षा दोनों दी हैं, लेकिन यूजर्स को समझ की कमी के इनके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे है। स्मार्ट प्रोडेक्ट्स के बढ़ते यूज को लेकर कंज्यूमर इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट भी पेश की है।
लोगों में डिजिटल समझ बढ़ाने के लिए कंज्यूमर इंटरनेशनल की ओर से बैटर डिजीटल वल्र्ड अभियान चलाया जा रहा है। जिसके के चलते दुनियाभर के लोगों को सुरक्षित तरीके स्मार्ट प्रोडेक्ट्स के यूज की अवेयरनेस फैलाई जा रही है। विश्व भर के लोग इस अभियान से जुड़े हैं और अपने सोशल मीडिया पर बैटर डिजीटल वल्र्ड के साथ अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं। इंडिया से भी इस पहल में बहुत से लोग जुड़े हैं।
क्या है स्मार्ट उत्पाद
एक स्मार्ट प्रोडक्ट अपने यूजर्स के साथ ना सिर्फ कनेक्ट होता है, बल्कि अन्य प्रोडक्ट्स के साथ भी उन्हें कनेक्ट, शेयरिंग और चैट की सुविधा देता हैं। इसके अलावा इंटरनेट के जरिए विभिन्न तरह के कम्यूनिकेशन से कनेक्ट करवाता है। सबसे लोकप्रिय कंज्यूमर स्मार्ट प्रोडेक्ट की बात करें, तो स्मार्टफ ोन, गेम कंसोल, स्मार्ट टीवी, वियरेबल फिटनेस टै्रकर, थर्मोस्टैट, खिलौने और कनेक्टेड कार हैं। ये डिवाइस यूजर्स के डेटा को एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने और इसे अन्य कनेक्टेड डिवाइसों में प्रसारित करने में सक्षम होते हैं। इनके नेटवर्क पर गौर करें तो स्मार्ट उत्पादों के नेटवर्क को इंटरनेट ऑफ थिंग्स के रूप में भी जाना जाता है। देखने में यह भी आता है कि स्मार्ट प्रोडक्ट कंज्यूमर्स को सुविधाएं, क्वालिटी और व्यक्तिगत सेवाओं का भी दावा करते हैं।
स्मार्टफोन सबसे लोकप्रिय स्मार्ट उपकरणों में से एक है, इसके चलते टेक्सटिंग और कॉल के साथ-साथ यूजर्स पर पूरी निगरानी रखी जा सकती है। साथ ही स्मार्टफोन ऐसा सेंट्रल हब है, जो यूजर्स को दूसरे स्मार्ट उपकरणों से भी जोड़ सकता है। इससे आप प्रिंटर, स्पीकर, होम सिक्योरिटी सिस्टम और हेल्थ टै्रकर्स भी जोड़ कर रख सकते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है इनके जरिए अब ऋण, भुगतान सहित सैलेरी जैसे आर्थिक लेन-देन की चीजें भी जुड़ गई हैं या यूं कहें कि अब उपभोक्ता आवश्यक सेवा और जरुरतों के लिए स्मार्टफोन पर ही निर्भर हो गया है। जिसके जरिए इनकी सुरक्षा करना बेहद जरूरी हो गया है। स्मार्टफोन के अलावा दूसरे डिवाइस पर नजर डालें, तो होम सिक्योरिटी सिस्टम शामिल हैं, इनमें वायरलेस कैमरा, लॉक्स और मोशन सेंसर शामिल हैं। ये डिवाइस घर में होने वाली असामान्य गतिविधियों का रिकॉर्ड रखते हैं और कंज्यूमर को समय रहते सचेत करते हैं। इसके अलावा हैल्थ पर निगरानी रखने के लिए फिटनेस टै्रकर जैसी चीजें मार्केट में अवेलेबल है। जो आपकी लाइफस्टाइल के साथ-साथ आपकी बॉडी को भी मॉनिटर करते हैं।
दूसरी ओर स्मार्ट प्रोडक्ट्स से दिव्यांगो को भी खूब मदद मिलती है। उदाहरण के तौर पर देखे तो ब्लाइंड लोगों को ऐसी स्मार्ट घडिय़ां मार्केट में आ गई हैं, जो कम्पन के साथ ही मेल्स की सुविधा देती है। इसके अलावा वो ब्रेल में अनुवाद भी करती हैं। वहीं स्मार्ट लाइट-बल्ब, डोरबेल या फोन सुनने में अक्षम लोगों के लिए स्पेशल रूप से बनाए जाते हैं। इसके तहत इन लोगों को काफी मदद मिलती है।
स्मार्ट प्रोडक्ट्स में हो रही है तेजी से बढ़ोतरी
पिछले एक दशक पर गौर करें, तो सामने आएगा कि स्मार्ट प्रोडक्ट्स में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही कंज्यूमर भी इन्हें खरीदने में खासतौर पर रूचि दिखा रहे हैं। सर्वेक्षण बताते हैं कि वर्तमान में 23.1 बिलियन कनेक्ट डिवाइस हैं, वहीं 2025 में इनकी संख्या ट्रिपल का आंकड़ा पार कर लेगी। इसी तरह स्मार्ट प्रोडक्ट्स पर वैश्विक उपभोक्ता खर्च दोगुना होने की संभावनाएं है। विशेषकर स्मार्ट फोन को वैश्विक रूप से अपनाए जाने की पूरी संभावना है, जो पिछले तीन सालों में देखने को मिला है। आज दुनियाभर में 4 बिलियन स्मार्टफोन हैं, जिनका आंकड़ा तीन साल में दुगुना हो जाएगा। यह भी भविष्यवाणी की गई है कि 2025 तक पूरे विश्व में 72 प्रतिशत इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे। स्मार्टफोन के माध्यम से आमजन तक सीधे इंटरनेट सुविधा पहुंचेगी। यह भी भविष्यवाणी है कि लगभग आधे नए यूजर्स, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और पाकिस्तान से होंगे।
2025 तक, दुनिया भर में होंगे दो तिहाई मोबाइल कनेक्शन
पूरे विश्व में तेजी से इंटरनेट का यूज होने बावजूद भी यह देखने को मिला रहा है विकासशील देशों में गरीबी के कारण फ ोन सहित सभी स्मार्ट उत्पादों का इस्तेमाल अभी धीमा है। इन देशों में आधारभूत संरचना और धीमी इंटरनेट गति के कारण यह इंटरनेट यूज इतना नहीं बढ़ रहा है। यही वजह है कि विकासशील देशों में डेटा पैकेज की लागत दुनिया में सबसे अधिक है। उदाहरण के तौर पर अफ्रीका में 1जीबी डेटा खरीदने के लिए औसतन किसी व्यक्ति के मासिक वेतन का 18 प्रतिशत तक का खर्चा होता है। हालांकि इसके बावजूद भी विश्लेषकों का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर स्मार्ट डिवाइस की बढ़त बढ़ेगी। जीएसएमए के मुताबिक 2025 तक, दुनिया भर में दो तिहाई मोबाइल कनेक्शन होंगे। यूजर्स को हाई स्पीड के नेटवर्क मिलेगा और ज्यादातर उपभोक्ता 3 जी या 4 जी का उपयोग करेंगे।
जोखिमों पर भी देना होगा ध्यान
डिजिटाइलेशन अपनी जगह बहुत सही है, लेकिन फिर भी दुुनियाभर में तेजी से बढ़ते उपभोक्ताओं को जोखिमों का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में उपभोक्ताओं के लिए यह बेहद जरूरी होगा, कि वे स्मार्ट उत्पादों को सुरक्षा को समझे। गोपनीयता पर ध्यान दें।
स्मार्ट फोन और स्मार्ट उपकरणों के साथ समस्या
अफोर्डबिलिटी :- ज्यादा से ज्यादा लोगों तक स्मार्ट उपकरणों की पहुंच बढ़ाने के लिए कई सरकारों ने स्मार्ट उपकरणों और फोन को सस्ता बनाने के लिए आयात शुल्क की कटौती जैसे उपाय पेश किए हैं। क्योंकि डेटा की लागत अभी भी इंटरनेट एक्सेस के लिए एक बाधा बनी हुई है। इधर दक्षिण अफ्रीका में डेटा की ज्यादा कीमत का लोगों ने अभियान के जरिए काफी विरोध किया है, जो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर काफी छाया हुआ था। यहां पर अन्य देशों के मुकाबले डेटा की कीमत बहुत ज्यादा है।
सेफ्टी एंड सिक्योरिटी :- स्मार्ट प्रोडक्ट्स की सुरक्षा आज सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। एक स्मार्ट प्रोडक्ट ज्यादा से ज्यादा डिवाइस से जुड़ा रहता है, ऐसे में किसी भी एक जगह सेंध लगती हैं, या तो पूरा इससे पूरा का पूरा सिस्टम ही खराब कर देता है। पिछले कुछ सालों से यह भी देखा गया है कि हाई प्रोफाइल साइबर अटैकर्स असुरिक्षत उपभोक्ता उपकरणों तक पहुंचते हैं और फिर पूरे सिस्टम को खराब होता है। उदाहरण के तौर पर देखे तो पिछले दिनों उत्तरी अमरीका और यूरोप में कुछ ऐसा वाकया हुआ, वहां पर हैकिंग के चलते इंटरनेट सेवाएं ही बाधित हो गई है।
सिक्योरिटी अपडेट्स :- स्मार्ट प्रोडक्ट्स के यूजर्स को इसके सिक्योरिटी अपडेट्स पर पूरा ध्यान देना चाहिए। विशेषकर सिक्योरिटी अपडेट्स के प्रति अनभिज्ञता के चलते डिवाइस वायरस और साइबर हमले की संभावनाएं रहती हैं, इस स्थिति से उभरने के लिए कम्पनियों को अपने प्रोडेक्ट्स के साथ सिक्योरिटी अपडेट्स को मुहैया करवाना चाहिए।